बुधवार, 18 मई 2022

मासोत्तं ज्येष्ठ मासे

 सनातन परंपरा और काल- गणना में  तीसरा महीना है ज्येष्ठ का । आम उत्तर भारतीय गाँव की भाषा मे यह जेठ कहा जाता है।  आमतौर पर इस माह की शुरुआत बैशाख पूर्णिमा के बाद की पहली तिथि से होती है ,कहीं-कहीं इसका प्रारंभ अमावस के बाद की पहली तिथि से माना गया है।मतलब यह कि कैलेंडर यदि पूर्णिमान्त  हुआ तो पहला,नहीं तो दूसरे तरीके से महीना शुरू होता है। हमारे यहाँ कैलेंडर  बनाने और दिन,वार व समय को जानने  और गिनने की पद्धति चंद्रमा की चलने की गति से नापी जाती है। ग्रेगेरियन कैलेंडर में महीने चंद्र आधारित कैलेंडर से अलग तरीके से चलते हैं। उसके हिसाब से यह महीना मई- जून का होता है, यानि कि भीषण गर्मी। वैसे तो यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन अबकी साल तो गर्मी अप्रैल यानि वैशाख से ही तेज पड़ने लगी थी। ऐसे मे ऐसी सघन छाया सुख देती है ।

      आप सब ज्यादा सोचें न, यह वृक्ष- राज बड़ यानि बरगद  ही हैं, हमारे विद्यालय प्रान्गण के। विशाल, गंभीर और शीतल। इनकी बड़ी महिमा है जेठ महीने में और हमारे स्कूल कैंपस में भी। गर्मी की बिना बिजली वाली दुपहरिया यहाँ अखरती नहीं है। 😊

वापस आते हैं ज्येष्ठ मास पर , यह महीना कठिन गर्मी  का है ही ,बड़े इम्पोर्टेन्ट, कठिन व्रत- पर्वों का भी है। सनातन आस्था के सबसे बड़े स्नान- पर्व मे से एक गंगा-दशहरा इसी जेठ महीने की वैक्सिंग-मून (उजाला पक्ष) की दसवीं तिथि को पड़ता है। माना गया है कि इसी तिथि को भागीरथ की तपस्या सफल हुई थी और देवी गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ है🙏। बड़ी संख्या में उत्तर भारत में लोग नदी स्नान और दान करते हैं इस दिन। बोलो गंगा मैय्या की जय। 

 इसके ठीक अगले ही दिन निर्जला- एकादशी का पर्व पड़ता है। आम वैष्णव गृहस्थ उत्तर भारतीय के लिए सभी चौबीस एकादशियों मे यह सबसे ज्यादा पुण्य देने वाली मानी जाती है। इस दिन का व्रत, दान, जप सबकुछ-यदि शुद्ध भाव से किया जाए- मोक्ष देने वाला माना जाता है। ।।ओम नमो भगवते वासुदेवाय।। 

अगला नंबर है वट-सावित्री पर्व का जो कि ज्येष्ठ की अमावस को पड़ता है। द्वापर मे श्री कृष्ण ने अर्जुन से भले ही यह कहा हो कि- वृक्षों में मैं अश्वथ, यानि,पीपल हूँ- लेकिन इससे वट राज की महिमा कतई  कम नहीं हो जाती है  ।यह व्रत सनातन परंपरा को मानने वाली विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है। इसका लेजेंड सती सावित्री के अपने पति के प्राण 🍠 यमराज से वापस लौटा लाने की पौराणिक कथा से जुड़ा है। आधुनिक नारीवादी, नास्तिक जन माफ करें लेकिन उतर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और विंध्य पार कर गुजरात, महाराष्ट्र तक की हिंदू विवाहिताएँ अपने पति की लंबे, निरोग जीवन के संकल्प के साथ इस व्रत को रखती हैं। हाँ अब पति भी उनको हौसला देने के लिए साथ मे व्रत करें तो यह परंपरा को आधुनिकता का सकारात्मक अवदान माना जाए 🙂। 

तो यह महीना जेठ का कठिन तो है ,लेकिन इसक़ो बिताने की जो सनातन परंपरा बताई गई है वह बड़ी साईंटिफिक् है । जीवन के पांच  बेसिक तत्वों- आग, हवा, पानी, धरती और आकाश- मे से तीन, जल(गंगा दशहरा और निर्जला- एकादशी) और धरती व (प्राण) वायु को (वट- सावित्री का पर्व) इस महीने में उत्सव के रूप में रोज़ के जीवन में शामिल करता है। जल,जमीन और वायु को जीवन से कनेक्ट करने के बहुत से त्योहारी  कारण देता है और बात- बात पर एंवीरोंमेंट् का हल्ला जोतने वालों को भी यह याद दिलाता है वह सब हो जाएगा, चुपचाप, बशर्ते हम बेसिक्स पर डटे  रहें। जय हो मासोत्तम ज्येष्ठ मास की।। 🙏🙏

 



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